Friday, 5 September 2025
प्यार
Wednesday, 3 September 2025
कुछ पाने से पहले और कुछ पाने के बात।
बदलाब जीबन का नियम है। हम चाहे भी तो इसे बदल नहीं सकते। हम इंसान के हात मैं कुछ चीज़े नहीं होते। परिबर्तन को अपनाने से जीबन सरल और सुन्दर होता है। मनुष्य कुछ पाने को कठिन परिश्रम करता है। इससे और कोई उपाय भी नहीं है के हमे जो चाहिये जीबन मैं बो चीज़ हमे मिले।परिश्रम से मिले फल कम भी हो पर आत्मसंतोष मिलता है और उसका कदर भी होता है। बिना परिश्रम का फल जैसे कुछ समय तक ही हम को सुख दे सकता है। मनुष्य का ब्यबहार सफलता पाने से पहले और सफलता पानेके बात मैं बहुत अंतर होता है। सफलता से पहले मनुष्य मनुष्य को मनुष्य जैसा ब्यबहार करता है। बो भगबान को पूजता है और भगबान के फल के प्रति उसके मन मैं डर रहता है। उसको पता होता है की अगर कुछ गलत की तो भगबान हमसे नाराज़ होंगे। पर मनुष्य जब कुछ जीबन मैं हासिल कर लेता है तब उसका ब्यबहार मनुष्य और समाज के प्रति बदल जाता है। बहुत कम लोग दुनिआ मैं सफल होने के बात इंसान बने रहते हैं। कुछ लोग सफलता के बात इंसान से ऊपर और भगबान से कम खुद को आंकते हैं और यह दुनिआ का ऐसा सच है जिसे हम चाहकर भी झुटला नहीं सकते। समाज के प्रति जो सोच होती है सफलता के पहले वह अब कहीं खो चूका होता है। अब इंसान खुद को उन्नत करने मैं अपना समय और पैसा का इस्तेमाल करता है। जो कभी दिन दुखी को देखते ही उनको पैसे दे देताथा अब उनको देख के मुँह मोड़ लेता है। अब मंदिर की और जाता नहीं , घर मैं आलीशान मंदिर जो बना चूका होता है। लोग डरने लगते है उससे, जो कभी लोगो के साथ बैठकर मस्ती करता था। समाज मैं उसको पुराने पहचान मैं उसको छोटा महसूस करबाता है। खुद को दूसरोंसे अलग साबित करके अपना बड़ापन देखता है। यह बदलाब आता है कुछ पाने से पहले और कुछ पाने के बात। पर इंसान तो नादान होता है। कभी न कभी उसको अपनी गलती का पता चल ही जाताहै। फिर बो जो शांति मान ,प्रतिष्ठा ,धन मैं खोज रहा होता है बो अब लोगो के सेबा मैं , भजन कीर्तन मैं , परोपकार मैं , समाज सेबा मैं आत्मसंतोष लाभ करता है। P.Patra
Sunday, 24 August 2025
Race of Life
Race of Life
We are running behind in saving
Costs are running behind us.We are running behind wishesPain is running behind us.We are running behind successStruggles are running behind us.We are running behind in moneyHard work is running behind us.We are running behind the familyResponsibilities are running behind us.We are running behind the DegreeAcademics are running behind us.We are running behind peaceProblems are running behind us.
P.PATRA
Sunday, 17 August 2025
Sunday, 3 August 2025
Priority
We obtain different kind of helps from friends and relatives during our problem but don't know why financial help is in the top priority among all.
P. Patra
Tuesday, 29 July 2025
दिल
"गलती माफ़ की जा सकती है क्यों की इसमें दिल और दिमाग का योगदान न के बराबर होता है
पर चालाकी माफ़ नहीं की जा सकती क्यों की इसमें दिल और दिमाग दोनों का योगदान होता है"
P.PATRA
Monday, 21 July 2025
Parents
Educated parents hard to accept their children's failure.
whereas uneducated parents always welcome their children in both success and failure.
P.Patra
Sunday, 20 July 2025
जिम्मेदारी
"जब एक इंसान जीबन में सफलता हासिल करता है तो
हर कोई जैसे स्कूल,शिक्षक, समाज, मातापिता , दोस्त
सब लोग श्रेय लेने मैं कुंठित नहीं करते
पर जब कोई मनुष्य असफल होता है तो केबल
दोष मातापिता तक सिमित होता है
जबकि जिम्मेदारी सबकी होती है उस इंसान प्रति "
P.Patra
Sunday, 4 May 2025
Friday, 2 May 2025
ନିରୀହ କୁକୁଡ଼ା ଛୁଆ
ନିରୀହ କୁକୁଡ଼ା ଛୁଆ
ଥରେ ଗୋଟାଏ ଗାଁରେ ଗୋଟେ ଲୋକ କୁକୁଡ଼ା ପାଳନ କରିଥିଲା |ତାର ପରିବାର ଲୋକମାନେ ମଧ୍ୟ କୁକୁଡ଼ା ଫାର୍ମକୁ ବହୁତ ଯତ୍ନ କରୁଥିଲେ |ସମୟ ସମୟରେ ଫାର୍ମ ମାଲିକର ପୁଅ ମଧ୍ୟ ଫାର୍ମକୁ ଆସି କୁକୁଡ଼ା ମାନଙ୍କ ସହିତ ଖେଳେ |ଫାର୍ମ ମାଲିକ ଫାର୍ମ ପାଖରେ ଦୁଇଟି ଗାଈ ମଧ୍ୟ ରଖିଥିଲା | ପୁଅର ସମୟ ସେହି କୁକୁଡ଼ା ଓ ଗାଈ ମାନଙ୍କ ସହିତ ଖେଳିବାରେ କଟେ| ମାଲିକର ପୁଅ ଗାଈ କୁ ଘାସ ଖାଇବାକୁ ଦିଏ ଓ କୁକୁଡ଼ା ଛୁଆ ମାନଙ୍କୁ ଦାନ ଖାଇବାକୁ ଦିଏ | ସେଇଠି ତାର ଖେଳିବାର ଦିନ ସରିଯାଏ |ଦିନେ କୁକୁଡ଼ା ଛୁଆ ଭାବିଲା କି ମାଲିକର ପୁଅ ଆମକୁ କେତେ ଭଲ ପାଏ | ମାଲିକ ମଧ୍ୟ ଆମକୁ ବିନା କାମରେ ରହିବା ପାଇଁ ଦେଉଛନ୍ତି ଓ ଆମ ମୁଣ୍ଡ ଉପରେ ଖରା ଓ ବର୍ଷା ପାଇଁ ଛାତ ଅଛି | ମାଲିକ କେତେ ଜେ ମହାନ |କୁକୁଡ଼ା ଛୁଆର ମାଆ ସବୁ ଶୁଣି କହିଲା , ହଁ ବହୁତ ଭଲ | ସମୟ ଆସିଲେ ସବୁ ଜାଣିବୁ | ଛୁଆ କୁ ମାଆର ଉତ୍ତର ଭଲ ଲାଗିଲା ନାହିଁ | ଭାବିଲା କଣ ମୁଁ ଭୁଲ ପ୍ରଶ୍ନ କଲି କି ? ମନରେ ତାର ବହୁତ ପ୍ରଶ୍ନ ର ଢେଉ ଉଂକ ମାରୁଥାଏ | ଛୁଆର ମାଆ ରାତିରେ ଭାବିଲା କଣ ଅବା ମୁଁ ଉତ୍ତର ଦେବି | ପିଲାଟା ନିରୀହ | ମଣିଷ ସମାଜ କୁ ଜାଣିନି | ଯଦି ସତ କଥା କହିଦେବି ମନ ତାର ଭାଙ୍ଗି ଯିବ | ମଣିଷ ଉପରେ ତାର ଭରସା ରହିବ ନାହିଁ |ମାଲିକ କଣ ଆମକୁ ଛୋଟ ରୁ ବଡ କରୁଛନ୍ତି କଣ ବିନା ସ୍ୱାର୍ଥରେ | ଏ ଦୁନିଆରେ କଣ ବିନା ସ୍ୱାର୍ଥରେ କିଏ କଣ କାହାର କାମ କରନ୍ତି | ଲୋକମାନେ ମଧ୍ୟ ଭଗବାନ ପାଖକୁ ଯାନ୍ତି ଯେତେବେଳେ ଦୁଃଖ ଆସେ | କେମିତି ମୁଁ ବା ଭୁଲିବି ସେ ଦିନ ହଠାତ ମୋ ମାଆ କୁ ରାତିରେ କିଛି ପଇସା ପାଇଁ ମାଲିକ ମୋ ଠାରୁ ମୋ ମାଆକୁ ଅଲଗା କରିଦେଲେ | ଏବେ ଯଦି ସତ କହିଦେବି ପିଲା ଜୀବନକୁ ବଂଚି ପାରିବନି | ସମୟ ଆସିଲେ ସେ ତାର ଉତ୍ତର ନିଜେ ପାଇଯିବ| ଏହା ଭାବି ଛୁଆର ମାଆ ତାର ଛୁଆକୁ କିଛି କହିଲା ନାହିଁ |
Money
तारीफे
Thursday, 1 May 2025
Monday, 21 April 2025
Saturday, 29 March 2025
ज्ञान और अज्ञान
एक ज्ञानी अगर अज्ञानी के नज़र से खुद को देखेगा तो अज्ञानी ही पायेगा।
एक अज्ञानी अगर ज्ञानी के नजर से खुद को देखेगा तो अज्ञानी ही पायेगा। P.PATRA
କଳିଯୁଗର ଦେବତା
କଳିଯୁଗରେ ଦେବତାମାନେ ମଧ୍ୟ ସମାଜର କୁପ୍ରଭାବରୁ ନିଜକୁ ରକ୍ଷା କରିପାରିଲେ ନାହିଁ | ସେମାନେ ମଧ୍ୟ ଲାଞ୍ଚୁଆ ହୋଇଗଲେଣି | ଭକ୍ତର ଭକ୍ତିକୁ ଛାଡି ଭୋଗ, ମିଠା, କଦଳୀ, ଦେଖି ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଉଛନ୍ତି| ମୁଁ ତ ଗୋଟିଏ ଗରିବ ସେବକ ମାତ୍ର, କଣ ଅବା ଦେଇପାରିବି | ଯାହା ମାଗଣାରେ ମିଳୁଥିବା ଫୁଲ ଓ ମନ ଭିତରେ ଥିବା ନିଷ୍କପଟ ଭକ୍ତି ଛଡା | ବଦଳରେ ଯାହା ଦବ ମୁଣ୍ଡ ନୁଆଇଁ ନେବା ଛଡା ଅନ୍ୟ ଗତି ନାହିଁ| ଦେଖିବା କେବେ ତୁମର ସ୍ୱାଦ ବଦଳୁଛ| ସେତେବେଳେ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଧନୀ ଭକତ ହୋଇଯାଇଥିବି | ମୋ ପାଖରେ ମଧ୍ୟ ଦେବା ପାଇଁ ମିଠା,ଭୋଗ, କଦଳୀ ଥିବା ହେଲେ ମନରେ ସେ ଭକ୍ତି ନ ଥିବ |
(ଧନ୍ୟ ତୁମେ, ତୁମ ଭକ୍ତ, ଓ ଭକ୍ତି)
Thursday, 19 December 2024
सच और झूट
झूठे लोगो के सामने झूठी मुस्कान के बदले
सच्चे लोगो के सामने रोना कई गुना अच्छा होता है
सुन्दर
कैसा होता जितना सुन्दर चेहरा उतना सुन्दर मन होता
कैसा होता जितना सुन्दर बात उतना सुन्दर सोच होता
कैसा होता जितना सुन्दर मन उतना सुन्दर नियत होता
कैसा होता जितना सुन्दर हसी उतना सुन्दर वजह होता।
कैसा होता जितना सुन्दर शरीर उतना सुन्दर लिवाज होता
कैसा होता जितना सुन्दर जीबन उतना सुन्दर आचरण होता
कैसा होता जितना सुन्दर आंखे उतना सुन्दर नज़र होता
कैसा होता जितना सुन्दर आप उतना सुन्दर कर्म होता।
कैसा होता जितना सुन्दर समय उतना सुन्दर उपयोग होता
कैसा होता जितना सुन्दर समाज उतना सुन्दर सोच होता
कैसा होता जितना सुन्दर दोस्त उतना सुन्दर दोस्ती होता
कैसा होता जितना सुन्दर साथी उतना सुन्दर साथ होता
P.PATRA
प्यार
आज का बिचार : इंसान को इंसान से प्यार नहीं है . इंसान को इंसान के पद और प्रतिष्ठा से प्यार है. जब पद और प्रतिष्ठा मैं कमी आती है तो सम्बन्ध ...
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